मेरी पहली पहलगाम यात्रा
मैं उस समय बलिया से 10वीं से पॉलिटेक्निक करने तक पूरे नौ साल बाद निकला था, इलाहाबाद में 10×10 के कमरे में रहकर मुझे और प्रतापगढ़ के मेरे मित्र प्रवीण को ख्याल आया कि चलो कश्मीर चलते है, बहुते नाम सुना है। 1 हफ्ते बाद हमलोग बिना किसी से बताये.. निकल लिये। पहुचे श्रीनगर... वहां से लोकल साधनों से पहुच गए धरती के जन्नत में.. रात भर एक समतल मैदान के कैम्पिंग कर अगली सुबह हम अन्तनाग से पहलगाम के लिए निकल चुके थे। अन्तनाग में अमरनाथ यात्रा के चलते चप्पे चप्पे पर सुरक्षाकर्मी ओर बख्तरबंद वाहन घूम रहे थे, उस समय कश्मीर के हालत बहुत खराब थे, रोज आतंवादी घटनाएं होती रहती थी। अन्तनाग बस अड्डे से हमने 100rs मे लोकल शेयरिंग टैक्सी ली और एक घण्टे में हम पहलगांव पहुँच गए। यहाँ पहुँच कर हमने खाना खाया और अपने ट्रेक पर निकल गए। पहलगाम से मैंने ओर प्रवीण ने बैसरण वैली जिसको मिनी स्वीटजरलैंड भी बोलते है की ट्रैकिंग शूरु कर दी । जहाँ सब घोड़े वाले हम से 1200rs एक बंदे के मांग रहे थे।खैर हम कहा पैसे देने वाले थे। निकल लिए पैदल अपने ट्रैकिंग बैग ओर टेंट स्लीपिंग बैग ले कर। एक घण्टे की ट्रैकिंग के बाद हम bais